Byju’s: एक ऊँचाइयों से दिवालिया तक का सफर
Byju’s, एक ऐसा नाम जो हर घर में जाने लगा था, अब दिवालिया होने के कगार पर है। यह वही Byju’s है जिसने BCCI की टीम की जर्सी को 3 सालों के लिए sponsor करने का contract साइन किया था, जिसमें Byju’s को एक मैच के लिए 4.5 करोड़ रुपये देने थे। लेकिन कंपनी पर आए संकट के कारण यह पैसा देना मुश्किल हो गया है। Byju’s के इसी contract के 159 करोड़ रुपये अब भी बाकी हैं जो कि कंपनी दे नहीं पा रही है।
Byju’s का आरंभिक सफर
एक समय था जब Byju’s अपनी सफलता की ऊँचाइयों को छू रहा था। Byju Raveendran द्वारा स्थापित, यह कंपनी ऑनलाइन एजुकेशन में क्रांति लाने के उद्देश्य से शुरू हुई थी। शुरुआत में Byju’s ने अपनी इंटरेक्टिव और आकर्षक लर्निंग सामग्री के माध्यम से छात्रों का दिल जीता। मार्च 2022 में, इस कंपनी की वैल्यू 1 लाख 80 हजार करोड़ रुपये तक पहुँच गई थी, और यह भारत का सबसे महंगा start up बन गया था एजुकेशन टेक्नोलॉजी में।
सफलता की ऊँचाइयाँ
Byju’s ने अपनी कंपनी को तेजी से बढ़ाने के चक्कर में कई नई कंपनियों को खरीदा। इन अधिग्रहणों ने कंपनी को विभिन्न शैक्षिक क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करने में मदद की। हर नए अधिग्रहण के साथ Byju’s अपनी growth का ग्राफ और ऊपर खींचता गया। लेकिन हर अधिग्रहण अपने साथ कई चुनौतियाँ भी ले आया।
बढ़ते अधिग्रहण और विज्ञापन खर्च
Byju’s ने विज्ञापन में भी खूब पैसा खर्च किया। हर जगह, हर चैनल पर Byju’s के ऐड दिखने लगे। लोगों को लगने लगा कि Byju’s हर जगह है, और यह भी एक सोची-समझी स्ट्रैटेजी थी। कंपनी ने बड़े-बड़े ब्रांड एम्बेसडर को हायर किया और हर मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
High valuation के परिणाम
लेकिन high valuation गेम खेलने का मतलब था कि कंपनी अपने खुद के expectation के बोझ तले दब गई थी। valuation को मेंटेन करना औरinvestors को खुश रखना एक कठिन काम बन गया। इस बीच Byju’s ने कई महत्वाकांक्षी योजनाएँ बनाईं जो आखिर में टिकाऊ नहीं रहीं। जितनी तेजी से कंपनी बढ़ रही थी, उतनी ही तेजी से यह दिवालिया के कगार पर भी आ गई।
आर्थिक संकट का आगमन
Byju’s और Koo, दोनों ही ऐसे उदाहरण हैं जो दिखाते हैं कि कैसे तेजी से बढ़ने वाली कंपनियाँ उतनी ही तेजी से गिर भी सकती हैं। growth के चक्कर में strategic planning और financial management को नजरअंदाज करना किसी भी कंपनी के लिए घातक साबित हो सकता है। इसके केस में भी यही हुआ। हर नए venture के साथ कंपनी ने अपनी resources को strechकिया। विज्ञापनों पर इतना पैसा खर्च किया गया कि आखिर में return मिलना मुश्किल हो गया। high valuation को maintain करने का प्रेशर कंपनी पर इतना बढ़ गया कि वो अपने core operations पर ध्यान नहीं दे पाई।
वर्तमान स्थिति और चुनौती
आज Byju’s एक संकट के समय से गुजर रही है। कंपनी पर आर्थिक दबाव बहुत बढ़ गया है और इसके कई वित्तीय देनदारियाँ बाकी हैं। इसको अपने मौजूदा contract और देनदारियों को पूरा करने में कठिनाई हो रही है। इस संकट से उबरने के लिए कंपनी को अपनी strategy को फिर से देखना होगा और अपनी प्राथमिकताओं को पुनः निर्धारित करना होगा।
संकट से उबरने की संभावनाएँ
Byju’s अगर अपनी गलतियों से सीख कर नए तरीके अपना सके, तो यह फिर से अपनी पहली वाली ऊँचाइयों को छू सकती है। इसके लिए कंपनी को अपनी financial planning को मजबूत करना होगा और अपने अधिग्रहण और खर्चों पर कड़ी नजर रखनी होगी। इस को अपने core product और service पर ध्यान केंद्रित करना होगा और उन क्षेत्रों में निवेश करना होगा जो वास्तव में लाभदायक हो सकते हैं।
सिखने की बातें
Byju’s का सफर एक सीख है सबके लिए – growth और expansion के चक्कर में अपने core value और financial discipline को कभी नहीं भूलना चाहिए। जो कंपनियाँ अपने resources का सही से management करती हैं, वही long term में टिक पाती हैं। इसे अब अपनी strategy को दोबारा से देखना होगा और टिकाऊ growth पर फोकस करना होगा।
निष्कर्ष
अंत में, यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सफलता और असफलता एक सिक्के के दो पहलू हैं। जो कंपनियाँ समय के साथ अपने आप को बदलने के लिए तैयार रहती हैं, वही आगे बढ़ पाती हैं। इस कंपनी के लिए अब वक्त है अपने संकट को एक अवसर में बदलने का। यदि यह company अपने अनुभवों से सीखकर सही दिशा में कदम उठाए, तो यह फिर से अपनी ऊँचाइयों को प्राप्त कर सकती है और एक मजबूत और स्थायी कंपनी बन सकती है।